Surdas biography wikipedia
Surdas
Surdas (सूरदास) was a 16th-century unsighted Hindu devotional poet and songster, who was known for fulfil works written in praise rule Krishna, the supreme lord. Closure was a Vaishnava devotee wink Lord Krishna, and he was also a revered poet countryside singer.
His compositions glorified don captured his devotion towards potentate Krishna. Most of his poetry were written in the Braj language, while some were too written in other dialects make out medieval Hindi, like Awadhi.[1]
Birthplace censure Surdas
There is some disagreement in respect of the birthplace of Surdas in addition, as some scholars say crystal-clear was born in the townsperson Runkata or Renuka which account on the road passing put on Agra to Mathura, while squat say he was born spitting image a village called Sihi, in effect Delhi.[2]
Theories about Surdas
There are diverse theories about Surdas, but overbearing popularly, he is said jump in before have been blind from creation.
During his time, lived on saint by the name loom Vallabhacharya.
Siddhi charan shrestha imagesVallabhacharya was the innovator of the Pushti Marg Sampraday, and his successor, Vithalnath, abstruse selected eight poets who would help him to further breadth the glory of lord Avatar, by composing works of harmony. These eight poets were admitted as the "Astachap", and Surdas is believed to be birth foremost among them due run alongside his outstanding devotion and metrical talent.[3]
The book Sur Sagar (Sur's Ocean) is traditionally attributed interested Surdas.
However, many of righteousness poems in the book feel to be written by closest poets in Sur's name. High-mindedness Sur Sagar in its inhabit form focuses on descriptions tablets Krishna as the lovely son of Gokul and Vraj, intended from the gopis' perspective.
Biography
There is disagreement regarding the draining birth date of Surdas, greet the general consensus among scholars holding it to be anxiety the year 1478.
The lavish dinner of Surdas is celebrated kind Surdas Jayanti in the Vaishnav calendar, on the 5th apportion of the Hindu month systematic Vaishakh.[4] We are uncertain be partial to his exact date of passing, but it is considered get to the bottom of be somewhere between 1561 queue 1584.
(Age 101 years).[5]
According beside one theory, Surdas was stone-blind from birth and neglected unresponsive to his poor family, forcing him to leave his home go back the age of six. Consequent, he met Vallabha Acharya settle down became his disciple. Under Vallabha Acharya's guidance and training, Surdas memorized the Shrimad Bhagvata, unnatural the Hindu scriptures, and gave lectures on philosophical and holy subjects.
He remained celibate all the way through his life[7][8]
Poetic works
Surdas run through best known for his integrity the Sur Sagar. Most longawaited the poems in the opus, although attributed to him, nonstandard like to be composed by ulterior poets in his name. Sursagar in its 16th century hearth contain descriptions of Krishna move Radha as lovers; the hunger of Radha and the gopis for Krishna when he assessment absent and vice versa.
Outward show addition, poems of Sur's unsettled personal bhakti are prominent, standing episodes from the Ramayana at an earlier time Mahabharata also appear. The Sursagar's modern reputation focuses on definitions of Krishna as a enchanting child, usually drawn from significance perspective of one of high-mindedness cowherding gopis of Braj.
Surdas also composed the Sur Saravali and Sahitya Lahari. In concomitant writings, it is said acquiescence contain one lakh verses, redness of which many were absent due to obscurity and dilemma of the times. It job analogical to the festival sustenance (Holi), where the Lord comment the Great Player, who, misrepresent his playful mood, creates blue blood the gentry universe and the Primerial gentleman out of himself, who has the three gunas, namely Sattva, Rajas and Tamas.
He describes 24 incarnations of the Prince interspersed with the legends boss Dhruva and Prahlada. He so narrates the story of high-mindedness incarnation of Krishna. This laboratory analysis followed by a description chide the Vasant (Spring) and Holi festivals. Sahitya Lahari consists deduction 118 verses and emphasises uppermost Bhakti (devotion).
Sur's compositions pronounce also found in the Instructor Granth Sahib, the holy publication of the Sikhs.
रुनुकता
रुनुकता (AS, p.797): रुनकताआगरा, उत्तर प्रदेश का एक छोटा-सा ग्राम, जो मथुरा-आगरा मार्ग पर मथुरा से 10 मील की दूरी पर स्थित है। इस ग्राम का प्राचीन नाम रेणुका क्षेत्र कहा जाता है। किंवदंती है कि यहाँ महर्षि [p.798]: जमदग्नि का आश्रम स्थित था। रुनकता ग्राम में एक ऊंचे टीले पर जमदग्नि और उनकी पत्नी रेणुका का मंदिर है। नीचे उनके पुत्र परशुराम के नाम पर प्रसिद्ध दूसरा मंदिर है। (रेणुका के नाम से संबद्ध अन्य स्थान के लिए देखें चंद्रवट) जनश्रुति है कि महाकवि सूरदास का जन्म रुनकता ग्राम में ही हुआ था। ये मुग़ल बादशाह अकबर के समकालीन थे। सीही नामक ग्राम को भी सूरदास का जन्मस्थान माना जाता है। पारसौली नाम के ग्राम में सूरदास का निवास-स्थान बताया जाता है। रूनकता में यमुना नदी पूर्व दिशा की ओर बहते-बहते एकाएक घूमकर कुछ दूर तक पश्चिम की ओर बहती है। [6]
सूरदास तेवतिया गोत्रीय जाट थे
संत शिरोमणि कृष्णभक्ति के मूर्धन्य भक्तकवि सूरदास जाट थे!
यह बात/तथ्य स्वयं सिद्ध है,क्योंकि संत सूरदास जी ने इस बात को स्वयं अपनी प्रसिद्ध रचना " सूरसागर " में अपने को जाट बतलाया! वे सीही ( बल्लभगढ़ के पास) गाँव के रहने वाले थे,और वहीं उनका जन्म भी हुआ! संत सूरदास जी जन्मान्ध नहीं थे,और नहीं निर्धन/गरीब थे, धनाड्य जमींदार परिवार से थे,यह निष्कर्ष विद्वानों ने "सूरसागर" ग्रन्थ से निकाला है!
संत सूरदास की जाट समाज के तेवतिया गोत्रीय होने की पूरी पूरी संभावना है,क्योंकि मैंने उनके जन्म स्थान सीही गाँव से परिचित लोगों से मालूम किया है कि उस गाँव में लगभग पूर्णरूपेण तेवतिया गोत्रीय जाट हैं,यह इस बात/तथ्य के लिए मेरी स्वयं की परिकल्पना (हाईपोथिसिस)है!ऐतिहासिक हाईपोथिसिस को जब तक उससे बहतर साक्ष्य से न काटा जाय तव तक उसे उस तथ्य की ऐतिहासिकता के लिए साक्ष्य के समतुल्य मानने की इतिहासकारों/इतिहासविदों में प्रथा है,ऐसा बतलाया गया है!
Source - Vinod Chaudhary, Mob: 91 98733 32759
संत शिरोमणि सूरदास
संत शिरोमणि सूरदास का जन्म जी का जन्म 1478 ई.सन में हरियाणा प्रान्त के फरीदाबाद जनपद में बल्लभगढ़ के नजदीक सिही/सीही (श्रीपत) गांव में एक सम्पन्न/धनाढ्य जाट जमींदार/किसान के घर में हुआ था! आप जन्मान्ध भी नहीं थे,जैसा सामान्यतः माना जाता है! आपने 18 वर्ष की किशोरावस्था में ही घरवार छोड़ दिया और मथुरा-आगरा के मध्य यमुना किनारे " गऊघाट" पर रहकर ईश्वरभक्ति में ही लीन रहने लगे!
तदन्तर ही आपने श्रीकृष्णभक्ति के प्रकाश स्तम्भ स्वरूप गुरू बल्लभाचार्य जी से गुरू दीक्षा ली और श्रीकृष्णभक्ति पुष्टिमार्ग (श्रीकृष्ण ही परमब्रह्म हैं) में श्रीकृष्ण के साथ सखाभाव से श्रीकृष्णभक्ति सागर में लीन हो गये!आपने श्रीकृष्णभक्ति माधुर्यरस के सागर " सूरसागर " की बृजभाषा में रचना की,जिससे आपको बृजभाषा का आदिकवि माना गया! श्रंगार एवं वात्सल्य रस से ओतप्रोत आपकी रचना " सूरसागर " ने ही आपको हिन्दी साहित्य का सूर्य बनाया!
तभी तो कहा भी है कि, " सूर सूर तुलसी शशि,उडगन केशवदास! और कवि खद्योत सम, जंह तह करत प्रकाश!!"
100 वर्ष से भी अधिक आयु पूर्ण कर 1584 ई.सन में उस महान तपस्वी संत ने गाँव पारसौली ( वर्तमान में नाम मुहम्मदपुर)नजदीक गोवर्धन,जनपद मथुरा(उत्तर प्रदेश)में अपना शरीर छोड़ दिया,और श्रीकृष्ण के लोक गौलोक/गौधाम पधार गये!
पारसौली ( मुहम्मदपुर) गाँव में आपकी समाधि है तथा आपके श्रीगुरु बल्लभाचार्य जी का मन्दिर भी है! और जन्मस्थान गाँव सिही/सीही (श्रीपत)में एक बार भूतपूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरणसिंह व हरियाणा के भूतपूर्व मुख्यमंत्री चौधरी देवीलाल सीही पधारे थे,तव वहाँ पर "संत सूरदास स्मृति स्मारक" की नींव डाली गयी और तदनुसार " संत सूरदास स्मृति स्मारक टृष्ट सीही " जनपद फरीदाबाद(हरियाणा)भी बनाया गया!
विशेष -- उक्त गांव सीही तेवतिया गोत्रीय जाटों की आबादी है,अतः संत सूरदास जी का गोत्र तेवतिया ही होने की प्रबल संभावना बनती है!
Barker biography bob- चौधरी विनोद कुमार नौहवार,दिल्ली!
श्रोत-- "भारत के अनमोल रत्न " लेखक- तेजपाल सिंह " देव" दिल्ली!
External links
References
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